श्री मृत्युंजय भगवान की आरती-Bhagwan Mrityunjay Ki Aarti
Mrityunjay Bhagwan Ki Arati |
श्री मृत्युंजय भगवान की है आरती
पापियों को पाप से है तारती। -2
शिव डमरूधर हैं, बसहे पर हैं, अंग भस्म रमाणे वाले,
सब कष्ट मिटाने वाले ।-2
हैं सत्य यही, सुख धाम यही-2
सब शिव महिमा की आरती।
पापियों को पाप से है तारती ॥1॥
श्री मृत्युंजय भगवान की है, आरती............2
हैं शीश गंग, पीते हैं भंग, धतुरे का भोग लगाते,
द्विज भक्त संत सब गाते ।-2
यह सुखकरनी, यह दु:खहरनी-2
सब शिव महिमा की आरती।
पापियों को पाप से है तारती ॥2॥
श्री मृत्युंजय भगवान की है, आरती.............2
मस्तक पर चन्द्र हैं, गले भुजंग हैं, वामे हैं मातु भवानी,
जो हैं जग की कल्याणी ।-2
हैं सत्य यही, सुख धाम यही-2
सब संत जनों की आरती।
पापियों को पाप से है तारती ॥3॥
श्री मृत्युंजय भगवान की है, आरती.............2
जो प्रेम सहित हैं, भक्तिभाव से, शिव महिमा को गाते,
वो भवसागर तर जाते ।-2
हैं मुक्ति यही, हैं भक्ति यही -2
सब भक्त जनों की आरती।
पापियों को पाप से है तारती ॥4॥
श्री मृत्युंजय भगवान की है, आरती.............2
इति स्वरचित मृत्युंजय भगवान आरती सम्पूर्णम्
विशेष सूचना :-- यह आरती ( आरती ) Mithilapuja का स्वरचित हैं इसे कॉपी करने की कोशिश ना करें ।
अदभुतआरती जय मृत्युन्ज भगवान् की हर हर महादेव
जवाब देंहटाएं