गणपति गणेश जी हिन्दू धर्म में एक प्रथम पुज्य और प्रसिद्ध देवता हैं। जो धन, सुख, संतुलन और समृद्धि की देवता माने जाते हैं।
- जो स्वरूप धर्म संपन्न है।
- जो समस्त जीवन को संवृद्धि देते हैं।
- जो समस्त संसार को धर्म से भरते हैं।
- जो समस्त संसार को शांति और सुख देते हैं।
- जो समस्त जीवन को स्वर्ग से जोड़ते हैं।
- जो समस्त जीवन को अद्भुत शक्तियों से भरते हैं।
गणपति गणेशजी की आरती मंगल की सेवा Ganpati Aarti |
इस आरती में भगवान गणपति की प्रशंसा होती है। "भगवान गणपति श्रीगणेश जी की आरती"। इस आरती में उनका महकता हुआ स्वरूप और उनकी अद्भुत शक्तियों की प्रशंसा होती है। यह भारत के हर धर्म में प्रचलित है और अधिकांश लोग इसे स्वयं से भी गाते हैं।
श्रीगणेशजी की आरती Ganesh Ji Ki Aarti
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब कष्ट टरे।
तीन लोक चौदह भुवन देवता, हाथ जोर सब अर्ज करे ॥
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
ऋद्धि-सिद्धि संग विराजे, बैठी आनन्द स चवर करें।
धूप दीप और नैवेद्य आरती, भक्त खड़े जयकार करें।
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
गुड़ लड्डू का भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।
सौम्यरूप गणपति की सेवा, विघ्न भागजा दूर परें।
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति जी ने, माता मन आनन्द भरें
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें।
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें ॥
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगचंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें।
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।
चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें।
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
प्रथम पूजा गणपति जी की, काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपती जी को, हाथ जोड़ स्तुति करें।
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।
तीन लोक चौदह भुवन देवता, हाथ जोर सब अर्ज करे ॥
गणपति की पूजा मंगल नहीं दूजा, पूजा से सब विघ्न टरे।