कलस गणेश वरूण ध्यान मंत्र

कलस गणेश वरूण ध्यान मंत्र
कलस गणेश वरूण ध्यान मंत्र

गणेश जी ध्यान-:

शरीरे सिंदूरं विलसति मुखेचैक दसनम्।
ललाटे त्रिपुन्डम तिलक ममलम नेत्र त्रितयम्।।
गले माला शुभ ह्युदर मधिकम् विस्तृत तरम्।
नमामि त्वां  गौरिं सुभग तनयं विध्न समनम्।।

शिवांके क्रीडन्तम् परशु वरहस्तं करि मुखम्।
विनाशी विघ्नानाम् सकल दुःखहारी सुखकरम॥
प्रकाशी विद्यानां सकल सुखराशी सुख करम।
चरण वन्दौ स्वामी मुनिवर नमामी शिव सुतम्॥

शिव तनय वरिष्ठं सर्व कल्याण मूर्ति।
परशु कमल हस्तं शोभितं मोदकेन॥
अरुण कुसुममालाम् व्याल यज्ञोपवीतम्।
मम हृदय निवासं श्री गणेशं नमामि॥

वरूण ध्यान-:

घटे धान्या धारे कनक कलशाद्याक्षत ह्युतै:।
तु पूर्वे श्री गंगे विमल यमुना नीर निकरै:।।
चतुर्वेदै सांगै सविधी सकलै देव दनुजै:।
स्थिते श्री नीरीशं वरुण मधुमा यामि शरणं।।

निधानं धर्माणां किमपि च विधानं नवमुदाम्
प्रधानं तीर्थानाममलपरिधानं त्रिजगतः।
समाधानं बुद्धेरथ खलु तिरोधानमधियाम्
श्रियामाधानं नः परिहरतु तापं तव वपुः॥

नमो नमस्ते स्फटिक प्रभाय सुश्वेतहाराय सुमंगलाय ।
सुपाशहस्ताय झषासनाय जलाधिनाथाय नमो नमस्ते ॥
ॐ अपां पतये वरुणाय नमः॥

आश्रित्ययं भवति धन्यतरा प्रतीची।
रत्ना करत्व मुपयाती पयः समूहः॥
पाशच्श्रयस्य भव पाश विनाशकारी।
तं पाश धारिणमहं हृदिचिंतयामि॥

हे पाश भूत वरूणनाथ जलेशदेव।
दीने दया मयि विधेहि सदा सुदेव॥
नातः परं किमपि प्रार्थयितव्य मस्ति।
पुष्पाञ्जलि ननु गृहाण सदा मदीयम्॥

नमोस्तु यादीगण वारिधीनां।
सुसेव्यमान: स्वगणैश्च सार्धम् ॥
जलाधिदेवो मम यज्ञ सिध्दयै।
गृहाण पूजां प्रणमामि नित्यम् ॥

आश्रित्ययं भवति धन्यतरा प्रतीची।
रत्ना करत्व मुपयाती पयः समूहः॥
पाशश्चयस्य भवपाशविनाशकारी।
तं पाश धारिणमहं हृदिचिंतयामि॥

नौमीड्य तेभ्रवपुषे तडिदम्बराय।
गुज्जावतंस परिपीक्षल सन्मुखाय॥
वन्नसृजे कवल वेत्र विषाण वेणु।
लक्ष्मश्रिये मृदुपते पशुपाङ्गजाय॥

वरुण देव:-

वास करहिं मुख में लक्ष्मीपति कण्ठ में वास करें त्रिपुरारी ।
मूल में ब्रह्मा निवास करें मध्य में माताएं मंगलकारी ।।
सागर द्वीप नदी वसुधा सब तीरथ वेद भी है शुभकारी ।
हे वरुण देव विराजो यहाँ दुःख दूर करो विनती है हमारी ॥

हनुमत ध्यानम्-:

हे हनुमान महा बलवान सुजान सुनो विनती एक मोरी।
श्री रघुनाथन के प्रिय भक्त कृपा करी देखहु तुमम ओरी।।
रामचरित्र कहहु निज भाषन कीजै सहाय दयानिज मोरी।
दास निराश पुकार करै करुणानिधि आवहु तु बरजोरी।।

आशिर्वाद-:

आनंद काले बहु राज लक्ष्मी:।
शिव प्रसादात्त धन धान्य वृद्धि:।।
वाधा हता शत्रु विनाश नेनम् ।
ददाति दानं विपुलम् धनायु:।।

पंच देवता पूजन विधि और ध्यान मंत्र

आपका मंगल हो, प्रभु कल्याण करे

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