श्री चण्ड भैरव स्तोत्रम् – हिन्दी अनुवाद सहित Chand Bhairav stotram

श्री चण्ड भैरव स्तोत्रम् – हिन्दी अनुवाद सहित


ॐ चण्डं प्रतिचण्डं करधृतदण्डं कृतरिपुखण्डं सौख्यकरम्।

 त्रिनेत्रं च भुजगभूषं कमलमुखं नयनत्रययुक्तं शान्तिकरम्॥

अनुवाद:

मैं उन भगवान चण्ड भैरव को प्रणाम करता हूँ, जो अत्यंत उग्र हैं, सभी उग्र शक्तियों से भी अधिक प्रचण्ड हैं, जिनके हाथों में दण्ड (शासन का प्रतीक) है, जो शत्रुओं का विनाश कर देते हैं और अपने भक्तों को सुख प्रदान करते हैं।

वे तीन नेत्रों वाले हैं, शरीर पर सर्पों की आभूषणों की तरह सजावट है, उनका मुख कमल के समान सुंदर है, वे तीनों नेत्रों से युक्त होकर शांति प्रदान करते हैं।

शमितमहातामसं सकलविकटारातिसंहरणपटुतरं।

कालवशंकरं करुणारसपूरितवपुषं नमाम्यहम्॥

अनुवाद:

जो महांतम (गहरे अंधकार) को नष्ट कर देते हैं, सभी भयंकर शत्रुओं का संहार करने में समर्थ हैं, जो समय (काल) को भी नियंत्रित करने वाले हैं, जिनका शरीर करुणा के रस से परिपूर्ण है — उन चण्ड भैरव को मैं नमन करता हूँ।

त्रैलोक्यपालकं त्रिविधतापनशमनं त्रिलोचनधारिणम्।

भूतप्रेतविनाशनं सदा भक्ताभयप्रदं नमाम्यहम्॥

अनुवाद:

जो तीनों लोकों की रक्षा करते हैं, जो तीन प्रकार के ताप (दैविक, भौतिक, आध्यात्मिक) का नाश करते हैं, जो तीन नेत्रों से युक्त हैं, जो भूत-प्रेतों का नाश करते हैं और अपने भक्तों को सदा अभय (निर्भयता) प्रदान करते हैं — उन्हें मैं प्रणाम करता हूँ।

खट्वाङ्गकटिसंयुक्तं कपालमालाभूषितं।

भस्मोद्धूलितसर्वाङ्गं भैरवं चण्डविग्रहम्॥

अनुवाद:

जिनकी कमर में खट्वाङ्ग (हड्डियों का हथियार) बंधा है, जो नरकपालों की माला धारण करते हैं, जिनका सम्पूर्ण शरीर भस्म से धूलित है, जो भैरव के चण्ड स्वरूप हैं — उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ।

जटाजूटसदामुक्तं गङ्गावारिणिसेखरम्।

श्वेतारुणांशुभास्वद्भास्कराभं नमाम्यहम्॥

अनुवाद:

जिनके सिर पर सदा जटाओं का जूड़ा है, जिनके सिर पर पवित्र गंगा विराजमान है, जो श्वेत और अरुण (लालिमा युक्त) किरणों के समान प्रकाशमान हैं — ऐसे सूर्य-समान तेजस्वी प्रभु को मैं प्रणाम करता हूँ।

भीषणं भीषणाकारं कालरात्रिसमप्रभम्।

भक्ताभयप्रदं देवं चण्डं चण्डविग्रहम्॥

अनुवाद:

जो अत्यंत भीषण हैं, जिनका स्वरूप अत्यंत उग्र है, जो कालरात्रि (महाशक्ति) के समान प्रचंड प्रकाशयुक्त हैं, जो भक्तों को अभय प्रदान करते हैं — उस चण्ड स्वरूप वाले देवता को मैं प्रणाम करता हूँ।

📿 सारांश भावार्थ:


यह स्तोत्र भगवान चण्ड भैरव के उग्र, शक्तिशाली और रक्षक रूप का भावपूर्ण वर्णन करता है। वे शत्रुओं का नाश करते हैं, अंधकार और भय को हरते हैं, और अपने भक्तों को निर्भयता तथा सुख देते हैं।

आपका मंगल हो, प्रभु कल्याण करे

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