मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ 5 पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं ।

बड़े भाग मानुष तन पावा । सुर दुर्लभ सद् ग्रन्थन्हि गावा ॥

साधन् धाम मोक्ष कर द्वारा । पाई न जेहिं परलोक सँवारा ॥

||रा०च०मा०/उ०का०/42||

मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ 5 पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं ।
मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ 5 पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं ।

मृत्यु उपरांत मनुष्य की कौन सी पाँच वस्तुएँ मनुष्य के साथ जाती हैं।

हम सभी लोग जानते हैं कि मानव शरीर ईश्वर का दिया हुआ इस पृथ्वी पर चमत्कारिक वरदान है।  और मानव योनि प्राप्ति के लिए योनि दर योनि भटकने और अनेको तपस्या और त्याग के बाद मनुष्य योनि की प्राप्ति होती हैं। मानव रूप में उत्पत्ति ईश्वर की असीम अनुकंपा हैं। जो अपने आप में में गर्व की बात है।

कामना

यदि मृत्य के समय मनुष्य के मन मे किसी वस्तु विशेष के प्रति कोई इच्छा शेष रह जाती है । कोई इच्छा अधूरी रह जाती है। कोई अपूर्ण इच्छा रह जाती है। तो मरणोपरांत भी वही इच्छा उस जीवात्मा के साथ जाती है। अगर ऐसी किसी कामनाएँ के लिए आपकी मृत्यु हो जाती हैं तो पुनः जन्म लेना पड़ता हैं। फिर वही कामना जीवात्मा में पा लेता हैं। गरुड़ा पुराण के अनुसार अन्तिम समय में सिर्फ ईश्वर भजन और ईश्वर की कामना करनी चाहिए। 

वासना

वासना कामना का ही दूसरा रूप है। वासना का अर्थ केवल शारिरिक भोग से नही अपितु इस संसार मे भोगे हुए हर उस सुख से है ।जो उस जीवात्मा को आनन्दित करता है। फिर वो घर हो ,पैसा हो ,रूतबा हो,या शौर्य। गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु समय निकट होने के बाबजूद अपने घर परिवार बच्चों के सुख दुख के बारे में सोचता रहता हैं। और अधूरी चाहतों को लेकर बेचैन रहता हैं इसी बेचैनी के साथ मृत्यु को प्राप्त करता हैं। यही वासनाएं मनुष्य के साथ ही जाती हैं। और मोक्ष प्राप्ति में बाधक होती है।

कर्म

मृत्यु के बाद हमारे द्वारा किये गए कर्म चाहे वो सुकर्म हो अथवा कुकर्म हमारे साथ ही जाता है। मरणोपरांत जीवात्मा अपने  द्वारा किये गए कर्मो की पूँजी भी साथ ले जाता है। जिस के हिसाब किताब द्वारा उस जीवात्मा का यानी हमारा अगला जन्म निर्धारित किया जाता है।

कर्ज़

यदि मनुष्य ने हमने -आपने जीवन मे कभी भी किसी प्रकार का ऋण लिया हो।तो उस ऋण को यथासम्भव उतार देना चाहिए। ताकि मरणोपरांत इसलोक से उस ऋण को उसलोक में अपने साथ न ले जाना पड़े

पूण्य

हमारे द्वारा किये गए दान-दक्षिणा व परमार्थ के कार्य ही हमारे पुण्यों की पूंजी होती है। इसलिए हमें समय-समय पर अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा एवं परमार्थ और परोपकार आवश्य ही करने चाहिए।

अंतरिक्ष और पृथ्वी पूरी लाख करोड़ आकाशगंगाएँ

वास्तु के प्रकार ,आवास और भूमि के  प्रकार

इन्ही पांचों वस्तुओं से ही मनुष्य को इस मृत्युलोक को छोड़ कर परलोक जाने पर । उस लोक अथवा अगले जन्म की प्रक्रिया का चयन किया जाता है।

भावार्थ - जीवन अनमोल है परन्तु उसके लिए, जो इसे पहचान सके !

अर्थात मानव योनि बड़े ही कठिन तपस्या से प्राप्त होता है। मानव शरीर पाना दिव्य लोक में रहने वालों देवताओं के लिए भी दुर्लभ होता है अर्थात मानव शरीर के लिए देवता गण भी तरसते रहते हैं । क्योंकि सिर्फ मानव शरीर ही एक येसा साधन हैं जो जीव को मोक्ष के दरवाजे तक पहुँचा सकती हैं। इस मानव शरीर को पाकर भी जो मनुष्य अपना परलोक सँवार नहीं लेता यानी अपने जीवन का उद्धार तथा मुक्ति-अमरता न पा लेता वह परलोक में और यहाँ लोक में अपार दु:ख कष्ट पाता है।

मानव शरीर का ज्ञान हमने अपने पुराणों में, कथाओं में,और धर्म शास्त्रों में पढा, जाना और समझा है। की ईश्वर ने भी इस मानव शरीर को धारण किया और इस पृथ्वी पर आए और अच्छे कर्म किये और मानव जाति को भी प्रेरित किया। इस लोक से चले गए और उन्हीं अच्छे कर्मों से हम सभी लोग प्रेरणा लेते हैं और याद करते हैं।

तो इस लिये जो मानव-रूपी शरीर हमें सभी को मिला हैं। उसका अच्छे से निर्वहन करें और पुण्यदायक कर्म करें। हम सब यह जरुर जानते हैं या जानने की कोशिश करनी चाहिए की जैसा कर्म करोगे वैसा फल जरुर मिलेगा। अति सुन्दर इक प्रस्तुति हैं 

जैसा कर्म करोगे वैसा फल देंगे भगवान रे :--

उन्हें कर्मों का फलस्वरूप मृत्यु के बाद भी इंसान के कर्म फल ही उसके साथ जाते हैं मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं। अगर उसने अच्छा कर्म किया तो उसके साथ अच्छा ही जाएगा, अगर बुरा कर्म किया तो उसके साथ बुरा ही जाएगा। इसलिए जीवन में अच्छे कर्म करते रहना चाहिए और इस मानव रूपी तन को अच्छे से निभाना चाहिए।

2 टिप्पणियाँ

आपका मंगल हो, प्रभु कल्याण करे

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